mother day मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
मैं आशुतोष कुमार गुप्ता
मातृ दिवस तो पुरे विश्व में अलग अलग दिनों पे मनाया जाता है.इस दिन की सबसे अच्छी बात ये है की ये हमारी माँ के लिए समर्पित एक दिन है.वैसे तो हम अपनी माँ से सबसे ज्यादा प्यार करते हैं,लेकीन शायद ही कभी हम उन्हें ये जताते हैं की हम उनसे कितना प्यार करते हैं.हमारे तरफ ये रिवाज़ नहीं की हर एक छोटी बात पे "आई लव यू मॉम" कहें. ये थोड़ी आधुनिक सभ्यता की सोच है, लेकीन अच्छी बात है. हमारे तरफ तो बस आँखें और कुछ अहसास ही इस बात का इजहार कर देते हैं.. और माँ ये समझ जाती है की हम उनसे कितना प्यार करते हैं.पूरी दुनिया में किसी से भी पूछो तो एक ही बात कहेगा की "मेरी माँ के हाथ से बना खाना मुझे सबसे ज्यादा पसंद है", मेरी भी यही कहानी है. ऐसा सिर्फ इसलिए की हम सबसे ज्यादा अहमियत अपनी माँ को देते हैं.
ना जाने कितनी बातें हमने सीखी हैं अपनी माँ से...बचपन में जब हम छोटे थे, और हमारा न कोई दोस्त न कोई साथी था तब माँ ही हमारी सबसे अच्छी दोस्त हुआ करती थी.हमारे साथ खेलना,पढ़ना..हमें चलना सीखाना..हमें अपने हाथों से खाना खिलाना, रात-रात भर जग के हमारे लिए लोरी गाना. हर बात पे डांटना, हर बात पे प्यार झलकाना.ऊँगली थाम के हमें बाहर ले जाना, ये बतलाना की देखो बेटा, ये रास्ता सही है और ये गलत. पास बिठा के अच्छी अच्छी और सच्ची बातें सीखाना.ये सीखाना की बेटा, ये काम कर के तुम अच्छे आदमी बनोगे, ये काम करोगे तो लोग तुम्हें बुरा कहेंगे.सच और झूठ, सही- गलत में फर्क सीखलाना.ये बतलाना की पैसे का इज्जत के आगे कोई मोल नहीं.. ऐसी ही न जाने कितनी ऐसी बातें हैं जो किसी स्कूल, किसी कॉलेज में सिखलाया नहीं जाता, ये बातें जो की बहुत ही अनमोल हैं, हमें अपनी माँ से ही सीखने को मिलती है.
जब हम छोटे थे और जब हमें तकलीफ होती थी, तो हमारे दर्द को बस हमारी माँ ही महसूस कर पाती थी...हमें दर्द में देख उसके आँखों से ऐसे ही बेवजह कभी थोड़े आंसू भी निकाल जाते..आज कितना अफ़सोस होता है ये जान के की कुछ नए प्रवित्ति के लोग ऐसे भी हैं जो ये अक्सर अपनी माँ को कह देते हैं की "आप नहीं समझेंगी", जब हम छोटे थे और हम जब बोल भी नहीं सकते थे तो सारी बातें माँ खुद ब खुद समझ लेती थी, और आज हम कभी ये भी कह देते हैं की "आप नहीं समझेंगी". ये बातें तो किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है.
अब जब हम बड़े हो गए हैं, अपनी दुनिया हमने खुद बना ली है, और उस दुनिया में न जाने कितने लोग हैं..हममे से कुछ लोग ये भुल जाते हैं की हमारे लिए तो पूरी हमारी दुनिया ही दोस्त है, पूरी हमारी दुनिया ही अपनी है लेकीन हमारी माँ के लिए तो बस हम ही उनकी पूरी दुनिया हैं.
ये एक बेहद ही खूबसूरत रिश्ता है, शायद इससे खूबसूरत रिश्ता भगवान ने हमें दिया ही नहीं.हमें बस इस रिश्ते के उस खुशनुमा अहसास को बनाये रखने की जरूरत है.आज जब हम बड़े हो गए हैं, फिर भी हमें हर कदम कदम पे अपनी माँ की जरूरत है.माँ आज भी हमारी छोटी से छोटी बातों पे परेशान हो जाया करती हैं, उन्हें आज भी हमारी उतनी ही फ़िक्र रहती है, और ये फ़िक्र, ये प्यार, ये दुलार समय के साथ बढ़ता ही जाता है.तो चलिए हम भी कुछ उनके इस प्यार का मान रखें और उन्हें वो सारी खुशियाँ दें जिनकी सिर्फ और सिर्फ वही हकदार है.
"हमारी जिंदगी में माँ की उतनी ही अहमियत है जितनी साँसों की अहमियत है"
और भी बहुत कुछ लिखना चाह रहा था लेकीन सच मानिए वो सब लिखने को शब्द नहीं मिल पा रहें
आशुतोष कुमार गुप्ता .
Ashutosh
bhuily Ekma Saran Bihar
7631532091
@asts60
ना जाने कितनी बातें हमने सीखी हैं अपनी माँ से...बचपन में जब हम छोटे थे, और हमारा न कोई दोस्त न कोई साथी था तब माँ ही हमारी सबसे अच्छी दोस्त हुआ करती थी.हमारे साथ खेलना,पढ़ना..हमें चलना सीखाना..हमें अपने हाथों से खाना खिलाना, रात-रात भर जग के हमारे लिए लोरी गाना. हर बात पे डांटना, हर बात पे प्यार झलकाना.ऊँगली थाम के हमें बाहर ले जाना, ये बतलाना की देखो बेटा, ये रास्ता सही है और ये गलत. पास बिठा के अच्छी अच्छी और सच्ची बातें सीखाना.ये सीखाना की बेटा, ये काम कर के तुम अच्छे आदमी बनोगे, ये काम करोगे तो लोग तुम्हें बुरा कहेंगे.सच और झूठ, सही- गलत में फर्क सीखलाना.ये बतलाना की पैसे का इज्जत के आगे कोई मोल नहीं.. ऐसी ही न जाने कितनी ऐसी बातें हैं जो किसी स्कूल, किसी कॉलेज में सिखलाया नहीं जाता, ये बातें जो की बहुत ही अनमोल हैं, हमें अपनी माँ से ही सीखने को मिलती है.
जब हम छोटे थे और जब हमें तकलीफ होती थी, तो हमारे दर्द को बस हमारी माँ ही महसूस कर पाती थी...हमें दर्द में देख उसके आँखों से ऐसे ही बेवजह कभी थोड़े आंसू भी निकाल जाते..आज कितना अफ़सोस होता है ये जान के की कुछ नए प्रवित्ति के लोग ऐसे भी हैं जो ये अक्सर अपनी माँ को कह देते हैं की "आप नहीं समझेंगी", जब हम छोटे थे और हम जब बोल भी नहीं सकते थे तो सारी बातें माँ खुद ब खुद समझ लेती थी, और आज हम कभी ये भी कह देते हैं की "आप नहीं समझेंगी". ये बातें तो किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है.
अब जब हम बड़े हो गए हैं, अपनी दुनिया हमने खुद बना ली है, और उस दुनिया में न जाने कितने लोग हैं..हममे से कुछ लोग ये भुल जाते हैं की हमारे लिए तो पूरी हमारी दुनिया ही दोस्त है, पूरी हमारी दुनिया ही अपनी है लेकीन हमारी माँ के लिए तो बस हम ही उनकी पूरी दुनिया हैं.
ये एक बेहद ही खूबसूरत रिश्ता है, शायद इससे खूबसूरत रिश्ता भगवान ने हमें दिया ही नहीं.हमें बस इस रिश्ते के उस खुशनुमा अहसास को बनाये रखने की जरूरत है.आज जब हम बड़े हो गए हैं, फिर भी हमें हर कदम कदम पे अपनी माँ की जरूरत है.माँ आज भी हमारी छोटी से छोटी बातों पे परेशान हो जाया करती हैं, उन्हें आज भी हमारी उतनी ही फ़िक्र रहती है, और ये फ़िक्र, ये प्यार, ये दुलार समय के साथ बढ़ता ही जाता है.तो चलिए हम भी कुछ उनके इस प्यार का मान रखें और उन्हें वो सारी खुशियाँ दें जिनकी सिर्फ और सिर्फ वही हकदार है.
"हमारी जिंदगी में माँ की उतनी ही अहमियत है जितनी साँसों की अहमियत है"
और भी बहुत कुछ लिखना चाह रहा था लेकीन सच मानिए वो सब लिखने को शब्द नहीं मिल पा रहें
आशुतोष कुमार गुप्ता .
Ashutosh
bhuily Ekma Saran Bihar
7631532091
@asts60
Nice ashutosh bhai
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